रसायन विज्ञान और हमारा जीवन (Chemistry and our life) - Tech Science Go

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Thursday, March 26, 2020

रसायन विज्ञान और हमारा जीवन (Chemistry and our life)

मानव जीवन को उन्नति की ओर ले जाने में रसायन विज्ञान का अक्षुण्ण (महत्वपूर्ण) योगदान है। मानव जाति के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रसायन विज्ञान का विकास अनिवार्य है। यह तभी संभव होगा जब सभी इस विज्ञान के प्रति आकर्षित होंगे। इस विज्ञान का उचित उपयोग करना ही समय की मांग है:-





·        सम्पूर्ण ब्रह्मांड रसायनों का बहुत बड़ा भण्डार है। जिधर भी हमारी दृष्टि जाती है, हमें विविध आकार-प्रकार की वस्तुएं नजर आती हैं। सारा संसार ही रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला है। यह विज्ञान अनेकों आश्चर्यचकित रसायनों से परिपूर्ण है। ब्रह्मांड में रासायनिक अभिक्रियाओं के द्वारा ही तारों की उत्पत्ति, ग्रहों की उत्पत्ति तथा ग्रहों पर जीवन संभव हुआ हैं।
·    रसायन विज्ञान को जीवनोपयोगी विज्ञान की संज्ञा भी दी गई है, क्योंकि हमारे शरीर की आंतरिक गतिविधियों में इस विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका हैं।
·    पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा का एक मात्र स्रोत सूर्य है जो विगत लगभग 5 अरब वर्षो से रोशनी तथा ऊष्मा दे रहा है, पेड़-पौधे उग रहे हैं, जीव-जंतु चल फिर रहे हैं, कहीं आकाषीय विद्युत् की चमक तथा कड़क है, तो कहीं आँधी, तूफान अपनी उपस्थिति दर्शा रहे हैं, कहीं भूकंप तो कहीं सुनामी की घटनाएं घटित हो रही हैं।
·    इन सभी घटनाओं में रसायन ही अपना करतब दिखा रहे हैं।
·    ये सभी किसी न किसी पदार्थ से निर्मित हैं, जो ठोस, द्रव या गैस रूप में होते हैं परंतु ये सभी भी रसायन ही हैं।
·    हमारे जीवन का कोई भी पक्ष रसायनों से अछूता नहीं है।
·    वैज्ञानिकों ने हमारे जीवन को भी रासायनिक क्रिया की संज्ञा दी है।
·    जीवन के समस्त लक्षण रासायनिक प्रक्रियाओं की ही आवाज हैं।
·    सजीवों में पोषण, वृद्धि, पाचन, उत्सर्जन, प्रजनन की प्रक्रियाएं रासायनिक अभिक्रियाएं ही है।
·    मानव के संवेदी अनुभवों जैसे, शब्द स्पर्श, रूप, रस तथा गंध, इन सभी के पीछे रासायनिक क्रियाएं उत्तरदायी हैं।
·    वस्तुतः रसायन विज्ञान का संबंध हमारे दैनिक जीवन से है।
·    शुरुआत हम सुबह की चाय से करते हैं जो कि दूध, चीनी, चाय-पत्ती के साथ उबला हुआ जलीय घोल है।
·    रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी आवष्यकताएं पूरी करने में रसायनों की भूमिका है।
·    हम जहाँ कहीं भी देखते हैं, रसायनो के नजारे ही दिखते हैं।
·    रोज मर्रा के उपयोग की चीजें, जैसे - साबुन, तेल, ब्रश, मंजन, कंघी, शीशा, कागज, कलम, स्याही, दवाइयां, प्लास्टिक आदि रसायन विज्ञान की ही देन हैं।
·    धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, स्नान, धूप-दीप, अगरबत्ती, रोली, रक्षा तथा कर्पूर इत्यादि सब में रसायन व्याप्त हैं।
·    उत्सवों तथा तीज त्यौहारों में दीये, मोमबत्ती तथा पटाखों के पीछे भी रसायन व्याप्त हैं।
·    यातायात, दूरसंचार, परिवहन तथा ऊर्जा के विविध स्रोत जैसे - कोयला, पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, एवं भोजन पकाने की गैस भी विविध रासायनिक यौगिकों के उदाहरण हैं।
·    मानव जीवन को आरामदायक बनाने में रसायन विज्ञान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
·    हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले औजार, उपकरण तथा युक्तियाँ जैसे - कुर्सी, मेज, टी.वी. फ्रिज, घड़ी, कुकर, इस्तरी, मिक्सर, ए.सी., चूल्हा, बर्तन, रंग-रोगन (पेंट्स), कपड़े, तथा रंजक (डाइज) अपमार्जक (डिटर्जेंट्स), कीटनाशक, आदि सभी में रसायन विज्ञान का ही अवदान हैं।
·     वस्तुतः रसायनों का संबंध प्रत्येक गैस, द्रव या ठोस पदार्थ से है। जिस वातावरण में हम रहते हैं तथा सांस लेते हैं वह विविध रसायनों से ही निर्मित है। वायुमंडल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन आदि गैसें विद्यमान रहती हैं।

रोगोपचार में रसायन विज्ञान

चिकित्सा विज्ञान की प्रगति रसायन विज्ञान की ही देन है। वर्तमान में 75 प्रतिशत औषधियों का संश्लेषण रासायनिक पदार्थो से हुआ है। आज लगभग 4000 ज्ञात औषधियाँ हैं परंतु रोगों की संख्या 30,000 के लगभग है। अतः भविष्य में रोगशमन(रोगों के नाश) हेतु रसायन विज्ञान का प्राधान्य है।

औषधियों का वर्गीकरण

·         1. सिरदर्द एवं अन्य वेदनानाशक
·         2. जलने की दवाएं
·         3. जुकाम खाँसी रोधक
·         4. निर्जनीकारक (कीटनाशक)
·         5. मृदुविरेचक
·         6. मूर्च्छाकारी, संवेदनहारी औषधियां
·         7. उत्तेजक
सिरदर्द : ऐस्पिरिन (C9H8O4) - alicylic Acid का ऐसीटिक एस्टर
जलने की दवाएं - त्वचा जलन जले भाग पर टैनिक अम्ल तथा बर्नोल
जुकाम खाँसी - देश के 75 प्रतिशत लोग ग्रसित
कुल्लिया - थाइमाल, मेंथाल
टिकिया - ऐसीटनीलाइड
सम्मोहक या निद्राकारी - फीनोबार्बिटल
एंटीबायोटिक - डॉ॰ अलेक्जेडर फ्लेमिंग ने 1928 में पेनिसिलियम कवकों से पेनिसिलीन प्राप्त की - स्ट्रेप्टोमाइसीन, टेट्रामाइसिन, बायोमाइसिन, एरिथ्रोमाइसिन।
घरेलू तथा खाद्य पदार्थो में रसायन

·     स्टेनलेस स्टील के बर्तन - लोहे में 14% नाइक्रोम (क्रोमियम और निकिल की मिश्र धातु) का मिश्रण
·     ब्रास के बर्तन - (कॉपर और जिंक मिश्र धातु) से बने बर्तन
·     ब्रॉन्ज के बर्तन - (कीमती मिश्र धातु जो 88% कॉपर, 10% टिन तथा 2 प्रतिशत जिंक) ; खेलों में गोल्ड, सिल्वर एवं ब्रॉन्ज मैडल।
·     रबड़ - पेट्रोलियम के हाइड्रोकार्बन और ब्यूटाडाइन स्टाइटीन
·     एलुमिनियम के बर्तन - बॉक्साइट (Al2O3)
·     सिल्वर के बर्तन - मुलायम धातु इसमें कॉपर या निकिल मिला दिया जाता है।
·      प्लास्टिक की तश्तरियां, प्याले आदि - ये बैकेलाइट के बने होते हैं, जो फीनॉल और फार्मेलडिहाइड से बनाया जाता है।
·     रबड़ - पेट्रोलियम के हाइड्रोकार्बन और ब्यूटाडाइन स्टाइटीन के यौगिक को अन्य रासायनिक पदार्थो के साथ मिलाने पर बने नये पदार्थ को 'कृत्रिम रबड़' कहते है।
·    भारी वाहनों के टायर - क्लोरोप्रोन रबड़
·    वायुयान के टायर - सुचालक बहुलक
·     खाद्यों में भरा रसायन - आहार के 6 मुख्य रासायनिक घटक - कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड, विटामिन, खनिज, जल

घरों में तरह-तरह के रसायनों का प्रयोग

·         पेट की शिकायत - सिरका - एसीटिक एसिड लवण एवं जल।
·         खाने का सोडा - सोडियम बाइकार्बोनेट
·         धावन सोडा - सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)
·         खाने का नमक – NaCl
·         सेंधा नमक – KCl
·         फिटकरी - K2SO4, Al2(SO4)3, 24H2O
·         बैटरियों में - 38 percent aqueos solution of H2SO4
·         बुझा चूना - Ca(OH)2
·         ऐल्कोहॉलिक पेय पदार्थो में इथेनॉल
·         फूलों की सुगंध - फ्लेवोन्स तथा फ्लेवोनाइड।
·         केले की गंध - आइसोएमाइल एसीटेट
·         नींबू की ताजगी - लिमोनिन यौगिक खट्टापन - सिट्रिक अम्ल
·         अम्लता (एसिडिटी) होने पर एटांसिड दवाइयां - Mg(OH)2। इससे आमाशय MgCl2 तथा     पानी बनाता है जिससे अम्लता में कमी आती है।
·         संगमरमर तथा खड़िया मिट्टी में - CaCO3 यौगिक।
·         टूथपेस्ट का मुख्य घटक Al2O3
·         माउथवॉश में आयोडीन के यौगिक – कीटाणुरोधी
·         रसायन विज्ञान के द्वारा खाद्य पदार्थो, यथा - दूध, देशी घी, सरसों के तेल, हरी सब्जी,     दाल, आटा, चाय तथा मसालों में मिलावट की भी सरल विधियों द्वारा घर पर ही जाँच      की जा सकती है।
·         रंग-रोगन तथा वार्निश में टाइटेनियम ऑक्साइड तथा पॉलियूरीथेन का प्रयोग किया जाता      है। मकानों में प्रयोग किए जाने वाले पेंट का आधार एक्रीलिक लैटेक्स होता है।
कांच के निर्माण में रसायन

·        कांच विश्व का पहला संश्लिष्ट थर्मोप्लास्टिक है। इसे किसी भी रूप में ढाला जा सकता है। रेत (SiO2), चूने का पत्थर (CaO), सोडियम ऑक्साइड (Na2O) और अन्य खनिज तथा धातुओं को परस्पर पिघलाकर कांच बनाया जाता है तथा इसके विभिन्न बर्तन आदि बनाये जाते है। आजकल कांच का कई प्रकार से उपयोग होता है।

·            रंगीन कांच बनाने हेतु इसमें विभिन्न प्रकार के रासायनिक लवण मिलाए जाते हैं -
पीला नीला या हरा - Fe2O3
पीला - Fe(OH)3
हल्का पीला - लेड
गुलाबी या हल्का पीला गुलाबी - सेलिनियम
नीला - कॉपर
हरा - अधिक मात्रा में कॉपर
लाल - कॉपर ऑक्साइड

प्लास्टिक के साथ कांच

§  कांच के फाइबर जब प्लास्टिक के साथ संयोग करते है तो अत्यधिक मजबूत पदार्थ बनता है जिसे प्रबलित प्लास्टिक (Reinforced plastic) कहते हैं इनका छत, नौका, खेल के सामान, सूटकेस तथा ऑटोमोबाइल की बॉडी बनाने में उपयोग किया जाता है।
§  ग्लास वुल - ठीले ग्लास फाइबर का बंडल, अच्छा ऊष्मारोधी, इसका उपयोग - फ्रिज, अवन, कुकर तथा गरम पानी की बोतलों में होता है।

साबुन और अपमार्जक

§  साफ-सफाई के लिए साबुन का इस्तेमाल लगभग 2800 ई.पूर्व का है। दूसरी सदी मे यूनानी चिकित्सक गालेन ने क्षारीय घोल से साबुन निर्माण का उल्लेख किया है।
§  साबुन वसा अम्ल का सोडियम लवण है। स्टीएरिक एसिड, पामिटिक एसिड, ओलिक एसिड तथा लिनोलेइक एसिड का सोडियम या पोटैशियम लवण।
§  सोडियम वाले साबुन ठोस व कठोर होते हैं जबकि पोटैशियम वाले मृदु तथा द्रव। साबुन का सूत्र : C17H35COONa
§  शैम्पू भी ऐल्कोहल मिश्रित साबुन। इसमें तेल को गंधक के अम्ल से अभिकृत करके जलविलेय बनाया जाता है।
§  अपमार्जक (डिटर्जेट) पर पानी की प्रकृति का प्रभाव नही पड़ता। अतः यह अघिक लोकप्रिय है।

स्टेशनरी

रासायनिक प्रक्रिया से ही लकड़ी से कागज की प्राप्ति होती है। कागज की प्राप्ति में सैंकड़ों लीटर पानी के साथ रासायनिक उपचार किया जाता है। पेंसिल, कटर, शार्पनर, रबर, इरेजर, ह्वाइटनर, स्याही आदि सभी रसायन है।

कीटाणुनाशक दवाइयां

·        डेटॉल - प्रचलित कीटाणुनाशक - घरों मे प्रयोग (क्लोरोजाइलीनॉल)
·        फिनाइल - अधिक प्रचलित
·        घाव तथा शल्य क्रिया में जीवाणुनाशक रसायन (ऐल्कोहॉल) 60-90 प्रतिशत तथा बोरिक       एसिड
·        चोट की मरहमपट्टी के लिए पूर्व में H2O2 से सफाई; आयोडीन के टिंचर का भी प्रयोग
·        फीनॉल या कार्बोलिक एसिड - जीवाणुनाशक - सर्जन द्वारा शल्य क्रिया के पूर्व हाथों की       सफाई
·        ब्लींचिग पाउडर (CaOCl2) का प्रयोग जल स्रोतों व नालियों, कुओ, की सफाई में प्रयुक्त।

सौन्दर्य में छिपे रसायन

·        क्रीम या कोल्डक्रीम - जैतून का खनिज तेल, मोम, पानी और बोरेक्स के मिश्रण से चेहरे की क्रीम बनती है। सुगंध हेतु इत्र, एल्कोहॉल, एल्डिहाइड, कीटोन, फीनॉल।
·        पाउडर - खडिया, टैलकम, जिंक ऑक्साइड, चिकनी मिट्टी का चूर्ण, स्टार्च, रंगने का पदार्थ आदि।
·        लिपिस्टिक - मोम तथा तारकोल से निर्मित रंग सामग्री। मिश्रण में चिकनाई हेतु अलग-अलग तरह के तेल मिलाया जाता है।
·        शेविंग क्रीम - स्टियरिक अम्ल, तेल, ग्रीस तथा पोटैशियम हाइड्रोक्साइड।
·        नेलपॉलिश - जल्दी सूखने वाला एक प्रकार का रोगन (स्प्रिट) जिसमें रंग लाने के लिए टाइटेनियम ऑक्साइड (TiO2) मिलाया जाता है। आजकल नाइट्रोसेल्युलोज, एसीटोन, एमाइल ऐसीटेट आदि। रंग मिटाने हेतु एथिल एसीटेट, ऐसीटोन तथा जैतुन का तेल।

कृषि रसायन

·        रासायनिक कीटनाशक (Pesticides), कवकनाशक (Fingicides), रसायन विज्ञान के द्वारा ही बनाये जाते हैं।
·        मिट्टीविहीन कृषि - जल कृषि (Hydrophonics)
·        रासायनिक उर्वरक - यूरिया, म्यूरेट ऑफ पोटाश, सल्फेट ऑफ पोटाश, डी.ए.पी., सी.ए.एन. आदि।

उद्योगों में प्रयुक्त रसायन

विस्फोटक पदार्थ : (खान खोदने, इमारत गिराने, तेल और गैस के कुंए खोदने में प्रयुक्त) अनेक नाइट्रेट जैसे- सेल्युलोज नाइट्रेट तथा नाइट्रोग्लिसरीन, पोटैशियम नाइट्रेट आदि विस्फोटक है।
नाभिकीय रसायन विज्ञान
इस रसायन विज्ञान की शाखा के अन्तर्गत रेडियोधर्मिता, तथा नाभिकीय प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है।

विभिन्न रहस्यों में छुपे रसायन
  •    आतिशबाजी में रसायनों का करिश्मा - आतिशबाजी के निर्माण तथा उपयोग की तकनीक       - पायरोटैक्नीक या अग्निक्रीड़ा। प्रयुक्त रसायन डेक्सट्रिन, चारकोल, रेडगम,                 एलुमिनियम, पोटैषियम परक्लोरेट तथा अमोनियम परक्लोरेट।
  •     जैसे ही आतिशबाजियों में कवच पर आग लगाई जाती है, ईंधन व ऑक्सीकारक             2200 से 36000 से तापमान के बीच क्रिया करते हैं, जिससे आवाज उत्पन्न होती है।
  •   आतिशबाजियों को रंगीन बनाने में SrCO3, नाइट्रेट तथा क्लोरेट से हरा रंग प्राप्त किया       जाता है।



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