वन (Forest) - Tech Science Go

Post Top Ad

Saturday, April 4, 2020

वन (Forest)


पृथ्वी का वह क्षेत्र जहाँ वृक्षों की संख्या सामान्य से अधिक है उसे वन(जंगल)कहते हैं। वनों ने पृथ्वी के लगभग 9.5% भाग को घेर रखा है जो कुल भूमिक्षेत्र का लगभग 31% भाग है। एक समय वन कुल भूमिक्षेत्र के 50% भाग में फैल हुए थे। वन, जीव जन्तुओं के लिए घर की तरह हैं और पृथ्वी के जल-चक्र को नियंत्रित और प्रभावित करते हैं और मृदासंरक्षण का आधार हैं इसी कारण वन पृथ्वी के जैवमण्डल का अहम हिस्सा हैं। वन धरती के सबसे प्रमुख स्थलीय परितंत्र भी हैं। धरती की 80% वनस्पतियाँ वनों में पाई जाती हैं। अलग अलग ऊंचाइयों पर स्थित वन विभिन्न परितंत्रों का निर्माण करते हैं- जैसे ध्रुवों के निकट बोरील वन, भूमध्य रेखा के निकट उष्ण कटिबन्धीय वन और मध्यम ऊंचाइयों पर शीतोष्ण वन। किसी क्षेत्र की ऊंचाई और वहां मौजूद नमी उस क्षेत्र में पाए जाने वाले वृक्षों पर प्रभाव डालती है। मानव और वन एक दूसरे पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव डालते हैं। वन जहाँ मनुष्य को अनेक प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं वहीं वे आमदनी का एक स्त्रोत भी हैं।




वन (Forest)


 वनों का वितरण (फैलाव)

जहां पेड़ अपने आप उगने में सक्षम हैं। वहाँ वनों का वितरण पाया जाता है वन कभी कभी एक छोटे से क्षेत्र के भीतर उष्णकटिबंधीय वर्षा (tropical rain) और समशीतोष्ण पर्णपाती वन के रूप में कई प्रजातियों के पेड़ो को अपने अंदर शामिल करता है। तो कभी बड़े क्षेत्रों पर अपेक्षाकृत कुछ प्रजातियां (जैसे, टैगा और शुष्क पर्वतीय शंकुधारी वन) शामिल करता है। वन अक्सर कई पौधे और पशु प्रजातियों, के लिये घर होता है। और वनों में  बायोमास प्रति ईकाई क्षेत्र अन्य वनस्पति समुदायों की तुलना में अधिक है। काफी मात्रा में यह बायोमास जमीन के नीचे जड़ों मे बनता है।

  वनों के प्रकार

·        वर्षा वन (rain forest) (उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण)
·        टैगा (taiga)
·        शीतोष्ण दृढ़ लकड़ी वन (temperate hardwood forest)
·        उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन (tropical dry forest)

  वनों के वर्गीकरण

अलग अलग तरीकों से और विशिष्टता के आधार पर वनों को वर्गीकृत किया जा सकता है :
Ø  उष्ण वन आम तौर पर सदाबहार हैं और शंकुधारी होते हैं।
Ø  शीतोष्ण क्षेत्र दोनों (समशीतोष्ण पर्णपाती तथा शीतोष्ण शंकुधारी) वनों का समर्थन करते हैं।

       शीतोष्ण और मिश्रित वन

शीतोष्ण और मिश्रित वन के वृक्ष आमतौर पर गरम शीतोष्ण अक्षांश के लक्षण को दिखते हैं लेकिन, दक्षिणी गोलार्द्ध में विशेष रूप से इनका विस्तार मिलता है शीतोष्ण शंकुधारी वन (Temperate coniferous forest) विश्व के शीतोष्ण क्षेत्रों में पाया जाने वाले वन हैं। इन क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु गरम तथा शीत ऋतु ठण्डि होती है और पर्याप्त वर्षा होती है जिससे यह वन जीवित रह पाते हैं। अधिकांश शीतोष्ण शंकुधारी वन सदाबहार होते हैं किन्तु कुछ वन शंकुधारी और चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार और पर्णपाती वनों के मिश्रण होते हैं। शंकुधारी वन अमेरिका, कनाडा, यूरोप तथा एशिया में पाये जाते हैं।

       उष्णकटिबंधीय नम


उष्णकटिबंधीय वर्षा वन सबसे सुंदर प्राकृतिक वन है ये दुनिया के उन हिस्सों में पाये जाते हैं जहां पूरे वर्ष भर भारी वर्षा होती है। भारत में, उष्णकटिबंधीय वर्षा वन में जानवरों और पौधों की बहुत-सी प्रजातियां पायी जाती है ये वन असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, पश्चिमी घाट और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाये जाते हैं। इन क्षेत्रो में भारी वर्षा होती है।
उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में मनुष्यों के लिए कई उपयोगी पदार्थों का विशाल भंडार उपस्थित है। कई मानव खाद्य पदार्थ और दवाइयाँ तथा कई उपयोगी लकड़ियाँ यहाँ पाई जाती हैं। कॉफी, पपीता, केला, चॉकलेट, आम, और गन्ना जैसे सभी उत्पाद मूल रूप से उष्णकटिबंधीय वर्षावनों से आते हैं।

       उष्ण कटिबंधीय शुष्क

उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन में वर्षा की दर काफी कम होती है। मौसम आमतौर पर शुष्क होता है अधिकांश पेड़ साल के कई महीनों में बिना पानी के जीवित रहते हैं। यहाँ काँटेदार या काँटेदार प्रजातियों के घने जंगल, पाये जाते हैं यहाँ जानवरों की चराई भरपूर मात्रा में होती है।

      वन प्रबंधन और वन हानि

वन प्रजाति का वैज्ञानिक अध्ययन और पर्यावरण के साथ उनका संबंध वन पारिस्थितिकी (forest ecology) कहा जाता है, जबकि जंगलों के प्रबंधन करने के लिए वानिकी (forestry) आते हैं। वन प्रबंधन पिछले कुछ सदियों से बदल गया हैस्थायी वन प्रबंधन (sustainable forest management) कहा जाता है,  वन प्रबंधन सामाजिक और आर्थिक मूल्यों, स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करके ही किया जाता है।
जंगल आग (forest fire) तथा अम्ल वर्षा वनो को बहुत प्रभावित करती है आग और अम्ल वर्षा से पेढ-पौधे तथा जीव-जन्तु मर जाते है। विश्व भर मे वन लाखो कि.मी में फैले हुए हैं और सम्पूर्ण मानवता के लिए वरदान बने हुए हैं इसलिए इनका प्रबंधन और सुरक्षा बहुत आवश्यक है।
आज मनुष्य अपने लाभ हेतु वनो की अंधाधुंध कटाई कर रहा है जिसकी वजह से वनो की हानि हो रही है पेड़ो पर रहने वाले जीव कटाई के कारण मर रहे हैं मिट्टी का कटाव हो रहा है जिससे उपजाऊ जमीन का नाश हो रहा है इसलिए वनो का प्रबंधन बहुत आवश्यक है।

वनों का महत्व

 केवल भारत में ही नही विश्व भर में वनों का विशेष महत्व है भारत में तो वृक्षों की पूजा तक की जाती है जिनमें पीपल एवं बरगद के वृक्ष मुख्य हैं. जंगल एक राष्ट्र की संपदा होते हैं. प्राचीन समय में ऋषि मुनियों द्वारा जंगलों में अपनी कुटियाँ आश्रम बनाते थे और वहां पर अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे।
जंगल हमें बहुत सारी वस्तुएं देते हैं. ये हमें घर, फर्नीचर और ईधन के लिए लकड़ी देते हैं, ये विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट फल देते हैं, वृक्ष कई प्रकार के होते हैं जैसे फलवाले वृक्ष, औषधीय वृक्ष और उद्योग में काम आने वाले वृक्ष चीड़, पीपल व देवदार आदि वृक्ष पहाड़ो पर उगते हैं. और साल सागौन एवं बबूल के वृक्ष समतल धरातल पर उगते हैं. हमें रबर भी वृक्षों से ही मिलती हैं. जो हमारे बहुत काम आती हैं. हम तारपीन का तेल, तथा औषधीय जड़ीबूटियां वनों से ही प्राप्त करते हैं.
अत्यधिक उद्योग धंधे वनों पर ही निर्भर है बांसों के जंगल से हमें कागज बनाने के लिए लुगदी मिलती है इसके अतिरिक्त हमें वनों से लाख मिलती है जो बहुत से उद्योगों द्वारा काम में ली जाती है हमें कच्चा माल जंगलों से ही मिलता है इन जंगलों से ही अनेकों उद्योग धंधे चल रहे हैं जिनसे लाखों करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है।
दुनियां का कोई भी देश हो उनके विकास में वनों का बहुत बड़ा योगदान होता हैं। वन संपदा के कारण ही उनके आर्थिक विकास को गति मिलती हैं। इसलिए कहा जाता है वन ही जीवन है।


No comments:

Post a Comment

Thank you for Comment

Post Bottom Ad