ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system) - Tech Science Go

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Friday, May 11, 2018

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system)



परिचय (Introduction)
  ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रोग्राम है जो यूजर और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच एक मध्यस्थ का कार्य करता है एक ऑपरेटिंग सिस्टम का उद्देश्य है एक ऐसा वातावरण प्रदान करना जिसमें एक यूजर, सुविधाजनक तरीके से और कुशलतापूर्वक प्रोग्राम्स को ऐक्जीक्यूट करके चला सके| ऑपरेटिंग सिस्टम में कंप्यूटर सिस्टम सही कार्य कर रहा है या नहीं, यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए| यूजर प्रोग्राम को सिस्टम के सही कार्य के साथ इंटरफेयर करने से रोकने के लिए, हार्डवेयर को उचित मैकेनिज्म प्रदान करना चाहिए ताकि इस तरह हमारा कंप्यूटर सही कार्य कर सके और हमें किसी प्रकार की दिक्कत न हो सके





ऑपरेटिंग सिस्टम के बेसिक्स
एक ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर में सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स का एक सेट होता है जो एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर प्रोग्राम द्वारा कंप्यूटर हार्डवेयर के प्रयोग करने के तरीके को और यूजर द्वारा कंप्यूटर को कंट्रोल करने के तरीके को नियंत्रित करता है| हार्डवेयर के कार्य जैसे इनपुट आउटपुट और मेमरी स्पेस एलोकेशन में ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर हार्डवेयर और एप्लीकेशन प्रोग्राम्स के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं जबकि एप्लीकेशन प्रोग्राम्स आमतौर पर सीधे हार्डवेयर द्वारा ही एक्जीक्यूट किए जाते हैं ऑपरेटिंग सिस्टम एप्लाइड कंप्यूटर साइंस पढ़ाई का विषय भी है| कंप्यूटर के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम का कार्य मुख्यत: सिस्टम के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर रिसोर्सेज को मैनेज करना है डेस्कटॉप्स या लैपटॉप्स के हार्डवेयर रिसोर्सेज में प्रोसेसेज  हार्डडिस्क, मेमोरी, डिस्कस्पेस, माउस, प्रिंटर्स अन्य पेरीफेरल्स आदि शामिल होते हैं जबकि सॉफ्टवेयर रिसोर्सेज में उस डेस्कटॉप/ लैपटॉप पर इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन्स आते हैं| ऑपरेटिंग सिस्टम्स एप्लीकेशन्स के लिए एक कंसिस्टेंट इंटरफेस प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो इस्तेमाल की जाने वाली हार्डवेयर या पेरिफेरल्स से स्वतंत्र होता है| इस वाजह से ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ-साथ अलग-अलग ड्राइवर भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system)
 एक ऑपरेटिंग सिस्टम एक सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर हार्डवेयर की इंटरनल गतिविधियों को कंट्रोल करता है और यूजर इंटरफेस प्रदान करता है सभी एप्लीकेशन प्रोग्राम्स को इस तरह से प्रोग्राम किया जाना चाहिए ताकि वो ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ बातचीत कर सकें और हार्डवेयर रिसोर्सेज का प्रयोग कर सकें| यही पहला प्रोग्राम होता है जो कंप्यूटर के स्विच ऑन होने के बाद कंप्यूटर की मेमोरी में लोड किया जाता है| कुछ लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम है
 विंडोज XP, विंडोज विस्टा,OS/2 और यूनिक्स मेनफ्रेम कंप्यूटर MVS, ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करते हैं
«   ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रमुख कार्य है यूजर और हार्डवेयर के बीच एक इंटरफेस प्रदान करना| यह इंटरफ़ेस एक यूजर को अधिक कुशल तरीके से हार्डवेयर रिसोर्सेज का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है
ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य ध्यान कंप्यूटर रिसोर्सेज को एक या अधिक कार्यो के लिए एलोकेट या डीएलोकेट करना होता है वास्तव में, इसे हार्डवेयर के ऊपर के एक कवर के रूप में देखा जा सकता है| इस तरह ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक कंप्यूटर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण भाग है|
 जो ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार में एक ही यूजर को सपोर्ट करता है, सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहलाता है| जैसे- Windows XP| कुछ OS जैसे लाइनक्स,यूनिक्स आदि एक बार में मल्टीपल यूजर्स को सपोर्ट करते हैं
एक ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न सभी कार्य करता है:-
1.      प्रोसेसर मैनेजमेंट:  OS प्रोसेसर्स को अलग-अलग कार्य साइन करते हैं जो कंप्यूटर सिस्टम द्वारा किया                   जाना आवश्यक है|  
2.      मेमोरी मैनेजमेंट:   यह(OS) सिस्टम प्रोग्राम्स, यूजर प्रोग्राम्स और डाटा को मेन मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी में ऐलोकेट करता है|
3.      इनपुट /आउटपुट मैनेजमेंट :   यह इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट का कार्य करता है और विभिन्न इनपुट/आउटपुट डिवाइसेस को असाइन और कोआर्डिनेट करता है
4.      फाइल मैनेजमेंट :  यह फाइल्स को विभिन्न स्टोरेज डिवाइसेज पर मैनेज करता है और इन फाइल्स को एक स्टोरेज डिवाइस से दूसरे में ट्रांसफर करता है यह टेक्स्ट एडिटर्स या किसी अन्य फाइल मैनीपुलेशन सॉफ्टवेयर पैकेजेस की मदद से सभी फाइलों को आसानी से बदलने और मॉडिफाई किए जाने की अनुमति देता है
5.      शेड्यूलिंग:  यह जॉब प्रायोरिटी को स्थापित करता है और उसे लागू भी करता है अर्थात यह कंप्यूटर सिस्टम में जॉब या कार्य किस क्रम में एक्जीक्यूट किए जाने हैं उसे निर्धारित करता है और मेंटेन भी करता है
6.      टाइम शेयरिंग:  यह कंपाइलर्स असेंबलर्स यूटिलिटी प्रोग्राम्स और अन्य सॉफ्टवेयर पैकेजेस को, कंप्यूटर  सिस्टम पर काम करने वाले अलग-अलग यूजर्स के लिए असाइन और कोआर्डिनेट करता है
7.      सिक्योरिटी मैनेजमेंट:  यह डाटा सिक्योरिटी और इंटीग्रिटी को स्थापित करता है अर्थात यह अलग-अलग प्रोग्राम्स और डाटा को इस तरीके से रखता है जिसमें यह एक दूसरे के बीच दखलंदाजी कर सके| इसके अलावा यह गलत यूजर द्वारा डाटा को नष्ट किए जाने से भी बचाता है| यह डंप्स, ट्रेसेज, एरर मैसेजेस अन्य कोड्स भी प्रस्तुत करता है यह इंटर्नल क्लॉक को मेंटेन करता है और यह कंप्यूटर सिस्टम और कंप्यूटर ऑपरेटर के बीच कम्युनिकेशन को आसान बनाता है

एक ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्यो को संक्षेप में इस तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है:-
·        रिसोर्स मैनेजमेंट (प्रोसेस मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, डिवाइस मैनेजमेंट)
·        प्रोसेस मैनेजमेंट (जॉब्स शिड्यूलिंग, टास्क मैनेजमेंट)
·        डाटा मैनेजमेंट (फाइल मैनेजमेंट और इनपुट /आउटपुट मैनेजमेंट)
·        सिक्योरिटी मैनेजमेंट
 सभी ऑपरेटिंग सिस्टम्स को चार श्रेणियों में बांटा गया है:
1.      सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम:  जो ऑपरेटिंग  सिस्टम एक बार में कंप्यूटर एक ही यूजर को काम करने की अनुमति देते हैं उन्हें सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है उदाहरण  DOS, Windows XP आदि|
2.      मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम:  एक मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम एक ही कंप्यूटर पर एक साथ कई यूजर्स को काम करने की अनुमति देते हैं प्रत्येक यूज़र को एक सिंगल कंप्यूटर से कनेक्टेड टर्मिनल दी जाती है उदाहरण लाइनक्स, यूनिक्स Windows 2000 आदि
3.      सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम:  जो UP रेटिंग सिस्टम एक सिंगल जब प्रोग्राम को एक बार में ही एकजुट कर लेते हैं उन्हें सिंगल कास्टिंग ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है उदाहरण एम एस डॉस
4.      मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम:  मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार में एक से अधिक जॉब्स के एग्जिक्यूट को सपोर्ट करता है आजकल के अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम  Windows 2010 टू यूनिक लाइनेक्स आदि मल्टीटास्किंग को सपोर्ट करते हैं Windows XP और 7 CC के लिए विंडो टेक्स्ट ऑफ़ ऑपरेटिंग सिस्टम के बाद वाले वर्जन हैं Windows XP ने डेक्सटॉप को एक नया और अधिक पर्सनल लुक दिया है जिससे यूजर को इमेजिस इंपोर्ट या स्कैन करने में आसानी होती है यह म्यूजिक को वेब पर लाने और फिर उनको टेबल ट्रांसफर करने के लिए बने हैं जिससे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम को ढूंढने में आसानी होगी।

लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम के बेसिक्स (लाइनेक्स Windows)
विंडोज(windows)
Windows आजकल का सबसे कॉमन ऑपरेटिंग सिस्टम है यह विश्व का सबसे अधिक बिकने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है Windows जीयूआई नाम के एक सॉफ्टवेयर की श्रेणी के अंतर्गत आता है इसका अर्थ है ग्राफिकल यूज़र इंटरफ़ेस   इंटरफ़ेस के हार्डवेयर वाले भाग में स्क्रीन मॉनिटर कीबोर्ड और माउस आते हैं इंटर पर्सन सॉफ्टवेयर वाला भाग निर्धारित करता है कि कौन सी चीजें स्क्रीन पर एक जैसी दिखती हैं और कैसे आप अपने पीसी को कमांड देते हैं ताकि आप का कार्य हो जाए Windows पर यह कार्य कीबोर्ड कारण से होता था और इसलिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करना काफी कठिन लगता है विंडोज वातावरण के आविष्कार के साथ कई सारे कंप्यूटर के दैनिक कार्य जैसे प्रोग्राम फाइल खोलना द्वारा किए जाते हैं जो कंप्यूटर के लिए काफी होता है इसके अलावा प्रोग्राम स्ट्रक्चर और ग्राफिक प्रोग्राम महारत हासिल कर ली तो दूसरे को सीखने बहुत आसान हो जाएगा
जैसे ही आप पावर सप्लाई स्विच ऑन करते हैं विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्राम PC में लोड हो जाता है कुछ शुरुआती जांच के बाद और फिर PC का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेता है यह आपका कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर जो आप इस्तेमाल करते हैं के बीच में कम्युनिकेशन लिंक प्रदान करता है उदाहरण के लिए जब आप अपने स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर को एक फाइल सेव करने के लिए कहते हैं तो ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर सिस्टम को बताता है कि कैसे और कहां इसे सेव करना है लेकिन Windows 8 ऑपरेटिंग सिस्टम है अधिक कुछ और भी है या ऐसे फंक्शन प्रदान करता है जो आपको कई प्रोग्राम एक साथ मैनेज करने की अनुमति देते हैं PC को कस्टमाइज करने करते हैं और कृषि से जुड़े हुए कई मेंटेनेंस के कार्य करते हैं यह कई ऐसेसरीज के साथ भी आता है और साथ में सॉफ्टवेयर प्रोग्राम जैसे यूटिलिटी और मीडिया प्लेयर आज भी होते हैं विंडोज पीसी का ध्यान रखता है और बैकग्राउंड में कई चीजें करता है जो आपको दिखाई नहीं देती है उसके पीछे आपके सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की मैच करने में व्यस्त रहता है विंडोज निम्न कार्य करता है:
·        आपके लिए एप्लीकेशन प्रोग्राम स्टार्ट करने के तरीके प्रदान करता है
·        एक बार में एक से अधिक प्रोग्राम चला सकता है इसे मल्टीटास्किंग कहते हैं इसका अर्थ है कि आप के पास एक ही साथ वर्ड प्रोसेसिंग और एक स्पेशल प्रोग्राम दोनों खुले हो सकते हैं और अब उसके बीच आना-जाना कर सकते हैं
·        आपको फेस मैनेज करने का एक तरीका प्रदान करता है फाइल्स वह डॉक्यूमेंट होते हैं जिन्हें आप बनाते हैं जैसे लेटेस्ट में मौज और वर्क सुइट्स विंडोज एक्स्प्लोरर जो एक फाइल मैनेजमेंट प्रोग्राम है और Windows के साथ आता है का प्रोफाइल को कॉपी में डिलीट ऑर्गेनाइज करने या फाइल के साथ कार्य करने के लिए किया जाता है
·        आपको इंटरनेट एक्सेस के सेट अप में मदद करता है इंटरनेट कनेक्शन रिजल्ट आपको इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के साथ एक अकाउंट सेट अप करने में मदद करता है एक बार जब आपके पास एक अकाउंट जाता है तो वह इंटरनेट पैक फ्लोरल जो Windows के साथ आता है का प्रयोग वेब को साफ करने के लिए कर सकते हैं
·        Windows आउटलुक एक्सप्रेस के साथ आता है जो एक ईमेल प्रोग्राम है इस प्रोग्राम का प्रयोग करके इंटरनेट के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मेल भेजी और पाई जाती है
·        Windows बहुत सारे उपयोगी एसेसरी प्रोग्राम के साथ आता है जैसे वर्डपैड और वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम इसमें नोट आदि टाइप करने के लिए एक टेक्स्ट एडिटर होता है जिसे नोटपैड कहा जाता है
·         + 10 - और मास्टर के आने से नीचे जनों को कस्टमाइज करने का तरीका प्रदान करता है

लाइनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम
लाइनक्स का परिचय
लाइनक्स मल्टी यूजर मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है लाइनक्स 32 बिट ऑपरेटिंग सिस्टम है लेकिन अब यह 64 बिट मे भी उपलब्ध है। यह विभिन्न प्रकार के अलग-अलग प्लेटफॉर्म जैसे इंटेल ,स्पार्क और अल्फा आदि पर चलता है इसे हर तरह से यूनिक्स का पूरी तरह से इंप्लीमेंटेशन के तौर पर माना जा सकता है लेकिन इसे यूनिक्स नहीं कहा जा सकता कारण यूनिक्स AT&T का एक रजिस्टर ट्रेडमार्क प्रोडक्ट है लाइनक्स को एक फ्री सॉफ्टवेयर लाइसेंस जिसे GNU जनरल पब्लिक लाइसेंस कहा जाता है के अंतर्गत एक फ्री सॉफ्टवेयर की तरह डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है।
Windows की तुलना में लाइनक्स के लाभ
लाइनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लाभ हैं:
1.      कम कीमत : Microsoft Windows की तुलना में अधिकांश लाइनक्स वेरियंट्स बहुत ही कम कीमत में या लगभग मुफ्त में उपलब्ध हैं
2.      स्थिरता: लाइनक्स को प्रदर्शन स्तर मेंटेन रखने के लिए समय-समय पर रिबूट करने की जरूरत नहीं होती है यह मेमोरी लीग की वजह से समय के साथ धीमा या फ्रीज नहीं होता है
3.      प्रदर्शन : लाइनक्स लगातार नेटवर्क और वर्क स्टेशन पर उच्च प्रदर्शन प्रदान करता है  यह बहुत बड़ी संख्या में यूजर्स को एक साथ हैंडल कर सकता है
4.      नेटवर्क से मित्रता: लाइनक्स को इंटरनेट पर कार्य करने वाले प्रोग्रामर्स के एक ग्रुप ने विकसित किया था और इसी वजह से इसे नेटवर्क पर कार्य करने के लिए मजबूत समर्थन मिलता है, किसी भी कंप्यूटर पर जिस पर लाइनक्स चल रहा है क्लाइंट,सर्वर सिस्टम को आसानी से सेटअप किया जा सकता है। यह नेटवर्क बैकअप जैसे कार्यों को वैकल्पिक सिस्टम की तुलना में अधिक तेजी से और अधिक विश्वस्नीय ढंग से कर सकता है
5.      लचीलापन: लाइनक्स को उच्च प्रदर्शन वाले सर्वर एप्लीकेशन के लिए प्रयोग किया जा सकता है एसे डेस्कटॉप एप्लीकेशन और एंबेडेड सिस्टम के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है आप एक निश्चित उपयोग के लिए आवश्यक कंपोनेंट्स को इंस्टॉल करके डिस्कस्पेस की  बचत कर सकते हैं
6.      समकक्षता: इस पर सभी यूनिक्स सॉफ्टवेयर पैकेजेस रन कर सकते हैं और यह सभी कॉमन फाइल फ़ार्मेट्स को प्रोसेस कर सकता है
7.       तेज और आसान इंस्टॉलेशन: अधिकतर लाइनक्स डिस्ट्रीब्यूशन यूजर फ्रेंडली इंस्टॉलेशन के साथ आते हैं और प्रोग्राम को सेट अप करते हैं लोकप्रिय लाइनक्स डिस्ट्रीब्यूशन्स ऐसे टूल्स के साथ आते हैं जो अतिरिक्त सॉफ्टवेयर के इंस्टॉलेशन को भी यूजर फ्रेंडली बना देता है
8.      हार्ड डिस्क का पूर्ण उपयोग: लाइनक्स तब तक अच्छी तरह से काम करता रहता है जब तक हार्डडिस्क पूरी तरह फुल नहीं हो जाती है
9.      एक साथ बहुत से कार्य करना: लाइनक्स को एक  ही समय में बहुत से कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जैसे बैकग्राउंड में एक बड़ा प्रिंटिंग का काम हो रहा है लेकिन इससे अन्य कार्य प्रभावित नहीं होंगे और ना ही यह धीमे  होंगे
 विंडोज की तुलना में लाइनेक्स के नुकसान
1.      लाइनेक्स के 300 से ज्यादा वर्जन्स हैं और सभी को एक ही कंप्यूटर सिस्टम पर इंस्टॉल नहीं किया जा सकता है
2.      लाइनक्स के बहुत से डिस्ट्रीब्यूशन्स हैं और नए यूजर्स इन से भ्रमित हो सकते हैं
3.       लाइनक्स के किसी विशेष वर्जन के साथ कुछ सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर कोम्फर्टेबल नहीं हो सकते हैं
लाइनेक्स के मूल एलिमेंट्स
लाइनक्स के मुख्य एलीमेंट्स के बारे में नीचे एक-एक करके बताया जा रहा है
कर्नेल
कर्नेल लाइनक्स सिस्टम का कोर होता है और यह सिस्टम के स्टार्ट होते ही मेमोरी में लोड होता है यह मेन मेमोरी, फाइल्स एवं पेरिफेरल डिवाइसेस को मैनेज करता है टाइम एवं डेट को मेंटेन करना एप्लीकेशंस को लांच करना एवं सिस्टम रिसोर्सेज को एलोकेट करना आदि भी ऑपरेटिंग सिस्टम के इसी भाग के कार्य होते हैं
शैल
शैल एक प्रोग्राम है जो यूजर द्वारा दिए गए कमांड्स को इंटर प्रिंट करता है यह कमांड या तो कमांड लाइन पर टाइप किए जाते हैं या एक फाइल में रखे जाते हैं जिसे शैल स्क्रिप्ट” कहा जाता है शैल स्क्रिप्ट में रखे कमांड्स को शैल द्वारा इंटर प्रिंट किया जाता है
फ़ाइल सिस्टम
लाइनक्स सभी चीजों को फाइल मानता है यहां तक कि एक डायरेक्टरी को भी यह फाइल मानता है जिसमें कई अन्य फाइलें होती हैं सभी हार्डवेयर डिवाइसेज़ जैसे I/O डिवाइसेज़,  स्टोरेज डिवाइसेज आदि को फाइल ही माना जाता है।
 लाइनक्स फाइल सिस्टम को एक हैरार्की में व्यवस्थित किया जाता है जो रू डायरेक्टरी  से स्टार्ट होती है यह रूट एक फावर्ड स्लैश (/) द्वारा दर्शाई जाती है जो रूट डायरेक्टरी के अंतर्गत कई सिस्टम डायरेक्ट्रीज एवं होम डायरेक्टरी होती है लाइनक्स में फावर्ड स्लैश का प्रयोग एक सेपरेटर की तरह प्रयोग में लाया जाता है उदाहरण के लिए एक शब डायरेक्टरी जो डायरेक्टरी के अंदर है  के रूप को नीचे दर्शाया गया है।

/(root)

/bin
/dev
/etc
/lib
/usr
/mnt
/kernel


कमांड्स
एक लाइनक्स कमांड आपके द्वारा टाइप किए गए कैरेक्टर्स की एक सीरीज होती है यह करैक्टर्स खाली जगह से अलग किए हुए शब्दों से बने होते हैं पहला शब्द खुद कमांड होता है और बाकी के शब्द  कमांड के आर्ग्यूमेंट होते हैं आर्ग्यूमेंट्स वह सूचना प्रदान करते हैं जिनकी जरूरत कमांड्स को एक्जीक्यूशन के समय सकती है लाइनक्स कमांड केस सेंसटिव होते हैं। अर्थात CP एवं cP अलग होता है
👉👉👉 आपको सभी लाइनक्स कमांड्स को लोवर केस अक्षरों में ही टाइप करने चाहिए

लाइनेक्स सिस्टम की बूटिंग
 सामान्य बूटिंग प्रक्रिया में आपके कंप्यूटर का बेसिक सब सिस्टम चेक करना शामिल है जैसे रैम का अमाउंट और वैलिडिटी, CPU की स्पीड एवं टाइम, फ्लॉपी की उपस्थिति, सीडी रोम या हार्ड ड्राइव, कीबोर्ड एवं अन्य उपकरण आदि। लाइनक्स बूट करने में फेल तब होगा जब इसे कोई हार्डवेयर की गड़बड़ी मिलेगी, हार्डवेयर गायब मिलेगा या हार्डवेयर का गलत तरीके से कन्फ़िगरेशन हुआ होगा
इसके बाद BIOS बूटेबल  डिस्क को खोजेगा उस क्रम में जो सेटिंग में दिया गया है (जैसे पहले फ्लॉपी में खोजो, फिर सीडी रोम और उसके बाद हार्ड ड्राइव में) इसके बाद, यह पहली हार्ड डिस्क के मास्टर बूट रिकॉर्ड एमबीआर मे से  बूट कोड़ को खोजेगा। डिस्क का यह एरिया एमबीआर बूट सेक्टर को रखता है जो बूटलोडर को लोड करता है  जब लाइनक्स कार्नेल लोड हो जाता है कार्नेल निम्न कार्य करेगा:
1.      एक रैम डिस्क इमेज को निशीलाइज करके लोड करना
2.       टाइमिंग टेस्ट करना
3.       किसी भी बूट टाइम कर्नेल आर्ग्यूमेंट का पद परिचय देना
4.      सीपीयू को पहचानना सेट अप करना तथा इनिशियलाइज करना
5.      कर्नेल मेमोरी सेट अप करना और प्रोसेस की हैंडलिंग करना
6.       कर्नेल बूट मैसेज डिस्प्ले करने के लिए एक कंसोल खोलना
7.       कॉन्फ़िगर की हुई सिस्टम डिवाइस को इनिशियलाईज करना
8.       मेमोरी हैडलिंग शुरू करना
9.      फाइल सिस्टम को सेट करना एवं माउंट करना
10.   Init. कमांड को स्टार्ट करना।
यह पूरी घटनाओं की सीक्वेंस तब होती है जब लाइनक्स कर्नेल लोड होता है और इसे /usr/src/linux/init/main.c. फाइल मे पाया जाता है।

➤➤   यदि सब ठीक हो जाता है तो आप देखेंगे एक “login” प्राम्प्ट। अब आप अपना यूजर नेम और पासवर्ड इस्तेमाल करके लॉगिन कर सकते हैं



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